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प्यारा सा बचपन

चलो कमबख़्त हो जायें

बङप्पन बचपनाने लग गया

क्यों इतने बेचारे हम?

भभक उठा जो क्रोध

हर मकान ओट ढूँढते न फिरो

जय हो!