मित्र


रचने वाले ने रच डाली,दुनिया बङी विचित्र,
रिश्ते नाते पल दो पल के जीवन भर के मित्र।
कष्ट समेटे रहना मुश्किल,मन की बातें कहना मुश्किल,
छिन में हो मन में हल्कापन,रहें मित्र जो गम में शामिल,
रहे साफगोई बन जाते कलुषित वचन पवित्र।
रिश्ते नाते पल दो पल के जीवन भर के मित्र।
कभी खींचते टाँग,कभी दुखती रग हाथ लगाते,
वही हँसाकर बेदम करते,बेदम वही रूलाते,
कभी ठिठोली बात बात पर, बिना बात के ठट्ठे,
कभी इकट्ठे बेसुध होना,फँसना कभी इकट्ठे;
बिगुल फूँक फिर कभी बचाना चेहरा,चाल,चरित्र;
रिश्ते नाते पल दो पल के जीवन भर के मित्र।
जिन हाथों में कहीं लकीरें नहीं दोस्ती वाली,
वही हाथ ताली दे गाते,कसमों की कव्वाली,
हर डाली में फूल याद के,पत्तों बिन हरियाली,
'यही' बनाया,'यहीं' बनाया, जब जी करो जुगाली;
भीना भीना इत्र समेटे, स्मृतियों के चित्र।
रचने वाले ने रच डाली,दुनिया बङी विचित्र,
रिश्ते नाते पल दो पल के जीवन भर के मित्र।
'रुपक'

Comments

Extremely touching Poem on Frendship and that too on very apt day. Kudos to U..Rupesh, as I always say ( But U don't take it seriously)..... U r one TALENTED guy...I'm proud of u buddy :)
Keep penning...
All d Best!!!