क्या भारत रत्न सचिन के योग्य है?


हाल ही में बुद्धू बक्से के अधोभाग मे चमचमाने वाली खबरों में से एक पर सहसा द्रष्टि ठहर गयी। 'मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर का नाम भारत रत्न के लिये प्रस्तावित',"सचिन" ये नाम सुनकर सबके  चेहरे पर एक अद्भुत सी प्रसन्नता की लहर दौङ जाती है। जाति,संप्रदाय,भाषा और विविध बंधनों में जकङा भारत का हर व्यक्ति मात्र इसी नाम पर सहमति रखता है,ये नाम मनुष्यवाद का पर्याय बन चुका है और अवश्य ही औपचारिक या अनौपचारिक रुप से भारत का अमूल्य रत्न है। नाम जिसे सुनते ही कलम बहकने लगती है और प्रष्ठ कम पङने लगते हैं,किंतु वापस ख़बर पर आते हुऐ विचार करते हैं "क्या भारत रत्न सचिन के योग्य है' या अंग्रेज़ी में अधिक सहज प्रश्न होगा 'Does Bharat Ratna Deserve Sachin?'
प्रश्न भ्रकुटि तानने वाला हो सकता है किंतु भारत रत्न का इतिहास निराश करता है,भारत का सर्वोच्च सम्मान जो दिया जाता है कला,विग्यान,साहित्य या उच्च कोटि के जनसेवा के कार्यों के लिये,इसे प्राप्त करने वाला व्यक्ति भारत के अति विशिष्ट नागरिकों की श्रेणी में सातवें पायदान पर आता है,और बहुत विशिष्ट स्थान रखता है.
आज तक 41 व्यक्तियों को यह सम्मान दिया जा चुका है,जिसमें से दो गैर भारतीय 'ख़ान अब्दुल ग़फ्फा़र खा़न' और 'नेल्सन मंडेला' भी शामिल हैं,जानकारी से तो अंतरजाल पटा पङा है,भारत रत्न को भारत का नोबल समझने से पहले यह विदित रहे कि न तो इस सम्मान को देने का कोई कालक्रम न ही कार्यक्रम समझ आता है। न ही ऐसा है कि हर साल यह सम्मान दिया जाता हो और न ही सम्मान पाने वले सारे नाम मन में सहज ही सम्मान का भाव ला पाते हैं।
सत्रह राजनीति से संबंधित नाम प्रश्न उपस्थित करते हैं,क्या यह भी आत्म महिमा मंडन का कोई साधन है?
सम्मान दिये जाने में होने वाले लंबे अंतराल पूछते हैं 'क्या भारत में योग्य व्यक्तियों की कमी हो गई है?' कुछ वर्ष पूर्व अटल जी का नाम प्रस्तावित किये जाने के बाद खेला गया गंदा राजनीतिक खेल पुरस्कार की गरिमा में कुछ और दाग़ लगा जाता है,आनन फानन में प्रस्तावित किये जाने वाले नाम हास्यास्पद ही नहीं निराशाजनक थे।

बात को यहीं विराम लगाते हुए कुछ प्रश्न खुले छोङ रहा हूँ, चलो आज नहीं तो कभी न कभी तो सचिन भारत रत्न के औपचारिक धारक हो ही जायेंगे किंतु क्या तब तक ये सम्मान सचिन का सम्मान करने योग्य बचेगा? क्या तब तक हम अपने देश के इस सर्वोच्च सम्मान का सम्मान रख पायेंगे?

बङा आदमी 'मैं'-बङा आदमी 'मैं'-
मेरा राज देखो,मेरा ताज देखो,
झुकाओ ज़रा सर तो ऊँचा दिखूँगा,
न मुझको हिमाकत से तुम आज देखो,
ये साबित किया है,मुकुट ने भी मेरे,
अँधेरे में चमचम मेरा तेज है वो,
चकाचौंध पर कौंध कर न बरसना,
नज़ाकत से चुनने हैं अल्फाज़ देखो,
ओ यश के पुजारी ,ओ पौरुष के कायल
मुकुट के बिना भी क्या सरताज? देखो।
बङा आदमी 'मैं'-बङा आदमी 'मैं'-
मेरा राज देखो,मेरा ताज देखो,
रुपक

Comments

Somz said…
A good question to put across, inequally good language. Though I am unabale to type in Hindi, sorry for that.
However my thought is, questions like whether Bapu deserved Nobel, or vice versa & similarly for Sachin whether he deserves Bharat Ratna or vice versa, are useless :)
simple reason is Both personalities are favourite & established standards of their fields ,as well as explerary human beings. Worth of Starting an award in their own name. Like Sachin's Best Crickets or Human being awars. At the same time Bharat ratna is also meant for same thing.
As you metioned the misuse of award that is a good point, though still the awars has its sheen, its not that it was misused has taken away its glory. Its an award from more than a billion people of Bharat, to its popular personlity, which Sachin is already been, in both professinal & personal life.
A good question though is too much of political interference in every field, thats a serious issue for whole BHARATa.
Rupesh Pandey said…
@somz: thanks for reading and sharing your thoughts,that's correct Sachin is way above from any award but when we see list of awardee it hurts that how a single family has got this award thrice and it seems that next Bharat Ratna is waiting for 4th generation of this family to get ready for receiving this award,under this context such awards become irrelevant as there are so many Indians who have contributed to India's growth in a commendable way,there are many volunteers who have devoted their life for the cause they believe in and have made difference,may be they haven't garnered attention of Media,dedicated bureaucrats,social activists,and they are real Bharat Ratna,as far as Bapu's Nobel candidature is concerned we know him from books and curriculum taught since childhood,world outside India has neutral opinion, but he's an achiever for sure.
Jiten... said…
U r right rupa,,Agar abhi mila to thik hai .Aupcharik Ghosna ho jayegi...warna bad mein shyad Bharat Ratna Sachin ko Deserve nahi kar payega..Han agar Sachin Gandhi family se belong karta to beshak iski ghosna kar di jati...waise Jo khud kohinoor ho use heere kya...???
Rupesh Pandey said…
Thanks for comment Jeetoo,and well said Kohinoor ko heere ki kya zarurat,keep reading and commenting!