आज के युवा

आज के युवा हैं 'कूल', रातरानी वाले फूल,

उषाकाल लालिमा का, बस चित्र देखा है;

पढ़ते पचास पोथी, अंग्रेज़ी वाली वो भी,

फिर भी अँगूठा फ़ोन पर धर बैठा है।


नैन में चुभे हैं शूल, जैसे आंधियो की धूल,

उल्लूओं के मित्र, चमगादडों के नेता हैं;

चलते हैं पग चार, नापते हज़ार बार,

सारा संसार फुल्ल HD में देखा है।


टीवी के बिना न जाये, हलक में कौर चार,

दाल में सना रिमोट, चोट खाये बैठा है,

सेल्फी की धुन में न, सुध-बुध सेल्फ की,

इनका आत्मज्ञान बस, एक GB डेटा है।


एक थे युवा नरेन, तड़पे पिपासु नैन,

गुरु की तलाश में, मन परेशान था,

एक हैं युवा हमारे, रमणी-प्रणय मारे,

सॉरी-सॉरी बोलकर दिल हलकान था।


एक कम चालीस में विश्व गुरु चल दिये,

भारत के भूत से भविष्य का गुमान था;

भूत जैसा जीवन है आज के युवाओं का

'रूपक' युवा-दिवस का क्या ये आह्वान था ?


Comments