तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात,
सन्नाटे!भन्नाते रहना, झींगुर वाली रात।
गहन-मनन में शून्य न होगा, होगा एक विचार,
कुंठा का उपचार करेगा,परामर्श का सार,
कुकुरमुते,बुदबुदे न होंगे पल-प्रतिपल जज़्बात;
तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात।
विगत दिवंगत पूज्य न होगा, न 'क्या था' न 'काश',
न ढाँढस का च्यवनप्राश,न धीरज भरी गिलास,
निरा-ढीठ,निर्लज्ज,निरादर कर काढेंगे दाँत;
तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात।
जब निषेध से निर्मम होता जायेगा परिणाम,
तब अंजाम भयंकर,होगा महाघोर संग्राम,
साँप छंछूदर वाले होते जाएंगे हालात;
तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात।
तन्हाई वाले जप-तप में,'रुपक' नहीं समर्थ,
निर्विचार का, निराकार का,बङा गूढ है अर्थ,
अहं 'अहम' बातों का,ये बस है "मत-लब" की बात,
सन्नाटे!भन्नाते रह न! झींगुर वाली रात।
'रुपक'
सन्नाटे!भन्नाते रहना, झींगुर वाली रात।
गहन-मनन में शून्य न होगा, होगा एक विचार,
कुंठा का उपचार करेगा,परामर्श का सार,
कुकुरमुते,बुदबुदे न होंगे पल-प्रतिपल जज़्बात;
तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात।
विगत दिवंगत पूज्य न होगा, न 'क्या था' न 'काश',
न ढाँढस का च्यवनप्राश,न धीरज भरी गिलास,
निरा-ढीठ,निर्लज्ज,निरादर कर काढेंगे दाँत;
तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात।
जब निषेध से निर्मम होता जायेगा परिणाम,
तब अंजाम भयंकर,होगा महाघोर संग्राम,
साँप छंछूदर वाले होते जाएंगे हालात;
तन्हाई से आज करेंगे,मतलब की कुछ बात।
तन्हाई वाले जप-तप में,'रुपक' नहीं समर्थ,
निर्विचार का, निराकार का,बङा गूढ है अर्थ,
अहं 'अहम' बातों का,ये बस है "मत-लब" की बात,
सन्नाटे!भन्नाते रह न! झींगुर वाली रात।
'रुपक'
Comments
आचार्य जी
badhai aap ko is ke liye