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खिचड़ी वाला मेला

तट की तिमिलाहट

ऐसी भी क्या बात हो गयी

सब अपने-अपने गाँव चले

आज भी कल के जैसी माँ

दिखा दो ज़ोर

अंत न हो इस दौङ का

लौटी न ललकार गुरुत्वाकर्षण कम है

महाविकट औंघाई

आरज़ू अनंत,मन घुमंत

मुश्किल,हुई मुश्किल,हुई मुश्किल

हीलियम के हम ग़ुब्बारे

"मत-लब" की कुछ बात